Saturday, September 3, 2011

Par aisa nhi k maine kareeb aana chhod diya hai

Kadam thk gye hai Dur nikalna chhod diya hai,
Par aisa nhi hai ke Maine chalna chhod diya hai.
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Fasle aksar mohabbat bda dete hai,
Par aisa nhi k maine kareeb aana chhod diya hai.
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Maine chirago se roshan ki hai aksar apni shaam,
Par aisa nhi k maine dil ko jlana chhod diya hai.
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Mai aaj bhi akela hu duniya ki bheed me,
Par aisa nhi ke maine zamana chhod diya hai.
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Bhulna muskil hai janta hu usko,
Par aisa nhi ke kisi ko yado me lana chhod diya h.
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Ha dikh jati h mayusi mere dosto ko chehre par mere,
Par aisa nhi ke maine muskurana chhod diya h...

Friday, August 5, 2011

koyi deewana kahta h, koyi pagal samjhta h

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है ।
मगर धरती की बेचैनी को, बस बादल समझता है ।
मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसी है ।
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है ।

मोहब्बत एक अहसासों के, पवन सी कहानी है ।
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है ।
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आँखों में आँसूं हैं ।
जो तू समझे तो मोती हैं, जो ना समझे तो पानी हैं ।

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता ।
ये आँसूं प्यार मोती हैं, इनको खो नही सकता ।
मेरी चाहत को तू दुल्हन बना लेना, मगर सुन ले ।
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता ।

भ्रमर कोई कुमुदिनी पर मचल बैठा तो हंगामा ।
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का ।
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा ।

Alp samay ka alp milan....

वो श्वेत वस्त्र कि श्वेता थी,

वो चन्द्रमुखी सुरबाला थी ।

वही हर्षिता वही दर्शिता,

नयनों में छलकती हाला थी ।

इक दो बूँद नही,

वो पूरी मधुशाला थी ।

कैसे करता मैं प्रणय निवेदन,

मै भिक्षुक वो रानी थी ।

अल्प समय का अल्प मिलन था आधी प्रेम कहानी थी॥

main peeda ka rajkunwar hoon

मैं पीडा का राज कुंवर हूँ, तुम शहजादी रूपनगर की,
हो भी गया प्रेम हममें तो बोलो, मिलन कहाँ पर होगा |

मेरा कुरता सिला दुखों ने, बदनामी ने काज निकाले,
तुम जो आँचल ओढे उसमे, अम्बर ने खुद जड़े सितारे |
मैं केवल पानी ही पानी, तुम केवल मदिरा ही मदिरा,
मिट भी गया भेद तन का तो, मन का हवन कहाँ पर होगा |

मैं जन्मा इसलिए कि थोडी उम्र आंसुओं की बढ़ जाए,
तुम आई इस हेतु कि मेंहदी, रोज नए कंगन बनवाए,
तुम उदयाचल, मैं अस्ताचल, तुम सुखांत की मैं दुखांत की,
मिल भी गए अंक अपने तो रस अवतरण कहाँ पर होगा |

मीलों जहाँ न पता खुशी का, मैं उस आंगन का इकलौता,
तुम उस घर की कली जहाँ, नित होंठ करे गीतों का न्यौता |
मेरी उम्र अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी,
मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा |

इतना दानी नही समय कि, हर गमले मे फूल खिला दे,
इतनी भावुक नही जिंदगी, हर ख़त का उत्तर भिजवा दे |
मिलना अपना सरल नही पर, फिर भी यह सोचा करता हूँ,
जब न आदमी प्यार करेगा, जाने भुवन कहाँ पर होगा |

हो भी गया प्रेम हम मे तो बोलो, मिलन कहाँ पर होगा |

kuch der hamare sath chalo, har dil k kahani kah denge

कुछ दूर हमारे साथ चलो, हम दिल कि कहानी कह देंगे,
समझे न जिसे तुम आंखों से, वो बात ज़बानी कह देंगे |

जो प्यार करेंगे, जानेंगे, हर बात हमारी मानेंगे,
जो खुद न जले हों उल्फत में, वो आग को पानी कह देंगे |

जब प्यास जवान हो जायेगी, एहसास की मंजिल पायेगी,
खामोश रहेंगे और तुम्हें, हम अपनी कहानी कह देंगे |

इस दिल में ज़रा तुम बैठो तो, कुछ हाल हमारा पूछो तो ,
हम सादा दिल हैं मगर, हर बात पुरानी कह देंगे |

Mushkil hai apna mel priye...

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

तुम एम. . फ़र्स्ट डिवीजन हो, मैं हुआ मैट्रिक फ़ेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

तुम फौजी अफ़्सर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूँ

तुम रबडी खीर मलाई हो, मैं सत्तू सपरेटा हूँ

तुम . सी. घर में रहती हो, मैं पेड के नीचे लेटा हूँ

तुम नयी मारूती लगती हो, मैं स्कूटर लम्बरेटा हूँ

इस कदर अगर हम छुप-छुप कर, आपस मे प्रेम बढायेंगे

तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पुरी बन जायेंगे

सब हड्डी पसली तोड मुझे, भिजवा देंगे वो जेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

तुम अरब देश की घोडी हो, मैं हूँ गदहे की नाल प्रिये

तुम दीवली बोनस हो, मैं भूखों की हडताल प्रिये

तुम हीरे जडी तश्तरी हो, मैं एल्मुनिअम का थाल प्रिये

तुम चिकेन-सूप बिरयानी हो, मैन कंकड वाली दाल प्रिये

तुम हिरन-चौकडी भरती हो, मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये

तुम चन्दन-वन की लकडी हो, मैं हूँ बबूल की चाल प्रिये

मैं पके आम सा लटका हूँ, मत मार मुझे गुलेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

मैं शनि-देव जैसा कुरूप, तुम कोमल कन्चन काया हो

मैं तन-से मन-से कांशी राम, तुम महा चन्चला माया हो

तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूँ

तुम राज घाट का शान्ति मार्च, मैं हिन्दू-मुस्लिम दन्गा हूँ

तुम हो पूनम का ताजमहल, मैं काली गुफ़ा अजन्ता की

तुम हो वरदान विधाता का, मैं गलती हूँ भगवन्ता की

तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की ठेलम-ठेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

तुम नयी विदेशी मिक्सी हो, मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ

तुम . के.-४७ जैसी, मैं तो इक देसी कट्टा हूँ

तुम चतुर राबडी देवी सी, मैं भोला-भाला लालू हूँ

तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मैं चिडियाघर का भालू हूँ

तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी, मैं वी. पी. सिंह सा खाली हूँ

तुम हँसी माधुरी दीक्षित की, मैं पुलिसमैन की गाली हूँ

कल जेल अगर हो जाये तो, दिलवा देन तुम बेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

मैं ढाबे के ढाँचे जैसा, तुम पाँच सितारा होटल हो

मैं महुए का देसी ठर्रा, तुम रेड-लेबल की बोतल हो

तुम चित्रहार का मधुर गीत, मैं कॄषि-दर्शन की झाडी हूँ

तुम विश्व-सुन्दरी सी कमाल, मैं तेलिया छाप कबाडी हूँ

तुम सोनी का मोबाइल हो, मैं टेलीफोन वाला हूँ चोंगा

तुम मछली मानसरोवर की, मैं सागर तट का हूँ घोंघा

दस मन्ज़िल से गिर जाउँगा, मत आगे मुझे ढकेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

तुम सत्ता की महरानी हो, मैं विपक्ष की लाचारी हूँ

तुम हो ममता-जयललिता सी, मैं क्वारा अटल-बिहारी हूँ

तुम तेन्दुलकर का शतक प्रिये, मैं फ़ॉलो-ऑन की पारी हूँ

तुम गेट्ज़, मटीज़, कोरोला हो, मैं लेलैन्ड की लॉरी हूँ

मुझको रेफ़री ही रहने दो, मत खेलो मुझसे खेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

मैं सोच रहा कि रहे हैं कब से, श्रोता मुझको झेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नही है खेल प्रिये

Sunday, July 31, 2011

Tarasti nazaron ki pyaas ho tum

Tarasti nazaron ki pyaas ho tum,

Tadapte dil ki aas ho tum,


Bujti zindagi ki sas ho tum,


Phir kaise na kahu?.. kuch khas ho tum…