Friday, August 5, 2011

Alp samay ka alp milan....

वो श्वेत वस्त्र कि श्वेता थी,

वो चन्द्रमुखी सुरबाला थी ।

वही हर्षिता वही दर्शिता,

नयनों में छलकती हाला थी ।

इक दो बूँद नही,

वो पूरी मधुशाला थी ।

कैसे करता मैं प्रणय निवेदन,

मै भिक्षुक वो रानी थी ।

अल्प समय का अल्प मिलन था आधी प्रेम कहानी थी॥

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